Monday, January 15, 2018

जातीय समूहों द्वारा चलाये जा रहे उद्यम

क्या किताबी ज्ञान ही सब कुछ है ????
क्या मैकाले की क्लर्क बनाने वाली स्कूली शिक्षा और डिग्री ही एक मात्र पैमाना है किसी के टेलेंट को मापने का ?????
इस विषय पर जब भी बहस होती है कुछ लोग स्टीव जॉब्स से लेकर बिल गेट्स के उदाहरण देने लगते हैं कैसे कॉलेज ड्रॉप आउट्स ने बड़े बड़े कीर्तिमान स्थापित किये । असल मे ये अपने देश को ठीक से न जानने की वजह से है ।
Global Entrepreneurship Monitor Executive Report 2002 of the London Business School की रिपोर्ट ने भारत को अमेरिका और पूरे यूरोप से एंटरप्रेन्योरशिप में ऊपर रखा था ।
The Total Entrepreneurial Activity [TEA]
India 17.9
China 12.3
US 10.5
Canada 8
UK 5.4
Germany 5.2
France 3.2
जैसा कि हमेशा होता है विदेशी जब हमारी किसी बात की तारीफ करते हैं हम तब खोजना शुरू करते हैं आखिर ये खूबी हममे आयी कंहा से , तो इस स्टडी के बाद भारत में 2005 के इकोनॉमिक census में इस बात को खोजने की कोशिश हुई ।
इस रिपोर्ट के अनुशार 42 मिलियन नॉन फॉर्मिंग एंटरप्राइजेज जो कि देश मे 99 मिलियन रोजगार दे रहे थे उनमें OBC का हिस्सा 43.5 , SC की हिस्सेदारी 9.8 और ST जातियों की हिस्सेदारी 3.7 % थी ।
आपको जानकर हैरानी होगी UNIDO के अनुसार देश की लगभग 60% मैन्युफैक्चरिंग जातीय समूहों द्वारा चलाये जाने वाले इन उद्योगों से होती है ।
सबसे बड़ी बात यह कि इन जातीय समूहों में अधिकतर लोग पढ़े लिखे नही थे कालेज की डिग्रियां नही हैं और 98% तक फाइनेंस किसी बैंक या मल्टीनेशनल से न होकर उसी समूह के अंदर से होता है ।
जातीय समूहों द्वारा चलाये जा रहे इन उद्यमों के बहुत से उदाहरण हैं
पंजाब में रामगढ़िया कम्युनिटी जिसके लिये फेमस है कि इन्हें एक बार कोई सामान दिखा दी जाय तो ये उसकी हूबहू नकल बना सकते हैं , विश्व की नम्बर एक साइकिल और उसके स्पेयर बनाने वाली इंडस्ट्री चलाते हैं
तमिलनाडु के Tiruppur में निटवियर का सालाना 3 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट है जिसे मुख्यतः गौंडर समुदाय चलाता है जिसमे दो तिहाई लोगों ने बारवीं भी पास नही किया है ।
क्या आपको पता है भारत मे सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला शहर कौन सा है
दिल्ली ? मुम्बई ? बैंगलोर ? जवाब है गुजरात का मोरबी , जंहा का टाइल्स उद्योग चाइना के बाद दुनिया मे दूसरा स्थान रखता है जानते हैं ये उद्योग कौन लोग चलाते हैं , पटेल समुदाय के लोग जो 20 साल पहले तक खेती करते थे और इनमे से 2% लोगों के पास भी ग्रेजुवेशन की डिग्री नही है और इनका सारा फाइनेंस कम्युनिटी के अंदर से ही होता है ।
70 % ऑयल टैंकर जो देश मे हैं वो तमिलनाडु के नामक्कल से आते हैं जिनमे से अधिकतर पहले ड्राइवर ,क्लीनर आदि का काम करते थे ।
इसी तरह नड्डार समुदाय का तमिलनाडु के रिटेल सेक्टर में सत्तर प्रतिशत तक हिस्सेदारी है
राज्य दर राज्य जिला दर जिला आपको यही ट्रेंड देखने को मिलेगा तथाकथित अशिक्षित , अंग्रेजी ना जानने वाले परिवार या समुदाय से उद्योग सीखने वाले लोग इस देश के आर्थिक इंजन को चला रहे हैं ।
जातीय ज्ञान जो सालों से परिवारों में समुदायों में चला आ रहा है , आंकड़े ये बताते हैं देश उनके दम पर विकास कर रहा है ......... मैकाले की क्लर्क बनाने की पढ़ाई के आधार पर नही ।

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